आ साथ मिलकर कदम बढ़ाएं , एकता को फिर मन के घरोंदे में सजाएं |
धर्म जात की परिभाषा छोड़ मन के मंदिर में दिये जलायें ||
बंद दरवाजों में आजादी की लड़ाई लड़ के दिखायें , कुछ वक्त बाद गलियों को फिर से आबाद करके दिखायें |
तब तक घर पर आई चिड़ियों से बाहर का हाल पूछ कर खुश हो जाएं ||
धर्म के अंधविश्वास को छोड़कर , इस जंग की फौजी की तरह लडकर दिखायें |
जो पल मिले है घर के आँगन में उसे अपनों के साथ खुशी से बिताएं ||
दुनिया की आपा-धीपी को कुछ पल के लिए भूल हम जाएं ||
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