Friday, May 22, 2020

मजदूर पलायन पर मेरा पक्ष


मजदूरों का सुनामी पलायन किस दिशा और दशा को दर्शाता है?


जान हथेली पर रखकर मूल स्थान की ओर तेजी से भागने की क्रिया क्या इंगित कर रहा है ? ऐसा लग रहा है कि मानो वाढ अथवा चक्रवात के भय से सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए लोग स्वाभाविक रूप से उत्सुक हैं और उन्हे शासन प्रशासन के द्वारा सहायता दी जा रही है और लोग उनके प्रति कृतज्ञ हैं ;


ऐसी घटना संभवतः उनके प्रति विश्वास कायम रहने के कारण होती है ।


परन्तु पलायन का कारण संभवतःविश्वास जागृत नही कर पाना है,नहीं तो किस कारण से घर लौटने की इतनी हडबडी रहती?हो सकता है कि अफवाह फैला कर ऐसा माहौल बनाया गया हो,किन्तु पीडित कौन सा वर्ग हुआ है और हो रहा है?लोग कहीं भी रहे,कहीं भी आये जायँ,कुछ भी खायें पियें,उन्हे यह विश्वास के साथ महसूस हो कि वे सुरक्षित है ।


इधर श्रमिकों  द्वारा उनके अपने अपने घरों के लिए आने की रफ्तार बढ़ी दिखाई दे रही है;पूछ ताछ के दौरान वे बताते है कि उन्हे तीन महीने से तनख्वाह नही मिली है;तनख्वाह मागने पर नियोक्ताओं द्वारा असमर्थता वयक्त कर दी जाती है; गुजारा कैसे चले?


अतः वे मजबूर है घर लौटने को,यद्यपि यहाँ भी वे जानते है कि दुश्वारियां ही है, पर घर है जहां रह सकते हैं और काम चलायेंगे।
बिना कानून/सरकारी नियंत्रण के कोई भी प्रतिष्ठान  दिशाहीन हो जाता है,निजी तो विशेष रूप से ।


यह सही है कि घाटे में चल रहे प्रतिष्ठानों पर दबाव नही डाला सकता है,किन्तु इसे सत्यापित कौन करेगा? क्या पेपर वर्क द्वारा आदि ?
कार्य स्थल पर कार्य करने के लिए कार्य करने वालों का सतत् विश्वास आवश्यक होता है,घाटा मुनाफा तो चलता रहता है ;उनका वहां रहने में सुरक्षा भाव चाहिए;उन्हे यह भान कराया जाना चाहिए कि आज नहीं तो कल दिन बहुरेगे;संक्रमण काल है जो समाप्त हो जायेगा ।ऐसा लगता है कि वे उन स्थानो के लिए बोझ है,जितना हो सके चले जायें ।परंतु यह नहीं भूलना चाहिए कि उजड़ गये चमन को बसाना आसान नही है ।


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