कहानी हैं भूख की... और ये भूख से शुरू होकर भूख पर ही खत्म हो जाएगी...देश में इस समय हर ओर जिंदगी से जंग चल रही है.... सड़कों पर बेचारगी और लाचारी के दृश्य दिखाई दे रहे हैं.... जो गरीब दो वक्त की रोटी के जुगाड़ में परदेस गया था.. अब सड़कों पर मारा-मारा फिर रहा है ....उसकी कोशिश है कि बस किसी तरह अपने घर पहुंच जाए..... अपनों के बीच पहुंच जाए...... किसी ने सच ही कहा है.....दुख का दरिया शर्म का समंदर होता है... सबसे खतरनाक भूख का मंजर होता है |
गरीब अब सड़कों पर मारा-मारा फिर रहा है..... कुछ अभागे तो ऐसे कि बीच सफर में ही दम तोड़ दिया.... वायरस ने तो नहीं मारा... भूख और प्यास ने मार दिया है....हर कहानी में एक दर्द देखने को मिल रहा है......कोरोना की आपदा अगर सरकारों की लिए चुनौती है तो इनकी भी अग्निपरीक्षा कम नहीं..... असमंजस है...की जिंदगी किस मोड़ पर ले जाएगी...दर्द है.. सैलाब है.. मायूसी है.. लेकिन जीने का जज्बा है.. ये मजबूर हैं.. क्योंकि ये मजदूर हैं...घर जाने की जिद है.... इस बुजुर्ग की आंखों में उदासी है... क्योंकि घर जाना है...कई दिनों से कुछ खाया नहीं है... लेकिन घर जाना है... मिलों का पैदल सफर... लेकिन मजबूरी भी इस क़दर की बस चलते ही जाना है.... लॉकडाउन के दौरान बेबसी की तस्वीरें देख रूह कांप जाती हैं...... सड़कों पर बेबस मजदूरों का मेला लगा हुआ है..... सबके अपने-अपने दर्द हैं.....लेकिन सुनाएं तो किसे सुनाएं....ऐसा ही एक राजू है.... जिन्होंने अपने बारे में बताया की... वो दो महीने से सड़कों पर हैं... उन्होंने बताया की वो राजमिस्त्री का काम करते हैं... परिवार को लेकर घर जाना है.. लेकिन काम ना होने की वजह से पैसा नही हैं... बता दें.. राजू का 11 लोगों का परिवार हैं....जो दो महीने से आनंदविहार के पास सड़क पर है... अब उसे घर जाना है...
लॉकडाउन के बीच सड़क पर अजीब मंजर पसरा है.. कैसे घर पहुंचना है.. किस रास्ते से जाना है.. कब पहुंचेंगे.. कुछ नहीं पता.. ये बस चल रहे हैं.. चलते जा रहे हैं.. किसी ने कुछ खाने को दिया तो खा लिया.. किसी ने पानी दिया तो पी लिया.. जहां अंधेरा हुए वहीं सो गए.. पर कमबख्त रास्ता इतना लंबा है कि मंजिल मिल ही नहीं रही |
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