Sunday, May 24, 2020

संख्या बल का क्या है फल


क्या संख्या बल द्वारा सब कुछ मिल सकता है? संख्या बल के महत्व को नकारा नही जा सकता है| जिस परिवार,जाति,समुदाय,भाषा,धर्म की संख्या बल अधिक होती है उसके मुकाबले अन्य जो कम संख्या मे है डरते हैं ।
प्रजातंत्र में तो संख्या बल की और अधिक पूछ होती है;जिसकी संख्या अधिक उसका गणित करके अधिक ख्याल किया जाता है ।
किन्तु शासकों के लिए मात्र संख्या बल पर्याप्त नहीं होता है,संख्या में शक्ति भी होनी चाहिए ;शक्ति के लिए संसाधन चाहिए नही तो पराजय की आशंका बनी रहती है।
हमारे देश में शासकों के बीच समय-समय पर संख्या बल होने के बावजूद पर्याप्त संसाधन और यथोचित शक्ति का अभाव रहा है और इसीलिए समय समय पर पराजित होते रहे हैं।
संख्या बल का अभिमान कभी-कभी भारी पड़ जाता है;कौरव संख्या बल में अधिक थे इस लिए ढीढतावश पाण्डवों को कुछ भी नही देना चाहते थे परन्तु अपनी शक्ति का ठीक से आकलन नही कर सके,परिणाम संपूर्ण बिनाश ।
मात्र शक्ति ही पर्याप्त नहीं होती है,युक्ति भी उतनी ही महत्वपूर्ण होती है;दैत्यों के पास संख्याबल और शक्ति दोनों थी और इसीलिए समय-समय पर वे देवों को पराजित कर संपूर्ण भूमंडल पर एक छत्र निरंकुश होकर शासन करने लगे पर धैर्य व युक्ति का अभाव रहा;परिणाम उनका विनाश ।
युक्ति के लिए विवेकपूर्ण धैर्य चाहिए;आरोप भी लग सकता है कि छलपूर्वक विजय मिली है;यह छल रहा जिसने शत्रु को मारा,कीर्ति को कलंकित किया । किन्तु जरा विवेकपूर्वक सोचें कि किसी को यदि इतनी अपरिमित शक्ति मिल जाए कि वह विवेक को त्याग कर न्याय अन्याय में अतंरविभेद न करे तो उसे युक्ति से ही न पराजित किया जा सकता है !


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