शब्द ब्रह्म और शब्द- विनाश,
आह्लादित मन तब पुष्प- पर्ण;
तनिक चूक- असंयत या सहास,
फुफकार राग ग्रस्त चेहरे विवर्ण.
कभी कोरोना का क्रंदन क्रूर,
विगलित प्रेम का,कभी सुरूर;
अचेत मन अक्षम्य अपराध,
मधुर बोल-बन जाते ब्याध.
गत प्रेम मन के मौन-बवंडर,
ध्वनि -तीव्र पर कर्ण पत्थर;
मोह-मान नद में तैरता नश्वर,
त्वरित भूलता नर जरा-जर्जर.
ख्याति जय का मद-मत शोर,
नर ढूढता फिरता कारूण्य कोर;
श्रव्य-यंत्रों की -स्नेहिल पुकार,
मद-मत्त कर्ण सुन- देते नकार.
प्रिय बंधु-जन सर्व प्रेम धाम,
वपु-कारूण्य युक्त सुंदर नाम;
करूणासागर हे करुणागार,
डगमग नाव लगाइये पार .
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