चंबल। चंबल फाउंडेशन के बैनर तले आयोजित 'चंबल कविता प्रतियोगिता–2020 की रूपरेखा प्रेस क्लब इटावा में जारी कर दी गई। चंबल फाउंडेशन के प्रकाशन प्रभारी डॉ. कमल कुशवाहा, सांस्कृतिक प्रभारी शीलेन्द्र प्रताप सिंह, शाह आलम, रंजीत सिंह यादव, पूनम पाल, शशिकांत दीक्षित और प्रेस क्लब के अध्यक्ष दिनेश शाक्य ने जारी करते हुए बताया कि उत्तर भारत के मध्य प्रदेश, उत्तरप्रदेश और राजस्थान तक विस्तृत चंबल के बीहड़ों का अतीत संघर्षमय अतीत बरसों से सृजनधर्मियों को आंदोलित करता रहा है। यह क्षेत्र और यहां की नदियां, तट और उनका रजत-मृदुल सिकता कैनवस पर उकेरी जाने वाली कल्पनाओं की तरह चित्रमय और भावमय बनाने को सहज ही उकसाती है। यह चंबल की धरती जो मानवता के पक्ष में खड़े होने और विद्रोह की प्रेरक बनती आई है। आजादी के दौर में भी चंबल क्षेत्र ने शोषणकारी ताकतों से लोहा लेने की संस्कृति को विकसित किया था। यमुना-चंबल क्षेत्र के रणबांकुरे हमेशा से ही अपने तेवरों के साथ मोर्चों पर डटे रहे हैं। यही नहीं, साहित्य सृजन की भावभूमि पर छंद और लय का आनंद और अनुशासन और नई कविता की प्रखरता यहाँ की साहित्य परंपराओं की अपनी विशिष्ट थाती कही जा सकती है।
चंबल की रंग छटा, दृश्यात्मक विविधता, भूमि स्रोत, प्राकृतिक वैभव, खग-विहग का संगीत कलरव, नदी जल की कल कल, पर्यावरण धरोहर, ऐतिहासिक थातियां, लोकगीतों की बहुआयामी अर्थवत्ता और जन भाषा के मुहावरे एक अलग ही समां बांधते हैं और मन को हर्षाते हैं साथ ही तन को पुलकित भी करते हैं। चंबल की धरा जिंदगी को खूबसूरत बनाने का बहुआयामी मुहावरा है। चंबल के रंग, तरंग, उल्लास और संघर्षों की कितनी ही छवियों को रचनाकारों ने विस्तार दिया है। चंबल की वादियों में मिट्टी के स्पर्श को उकसाते पहाड़ों, भूतल के स्पर्श की तरंगे पैदा करते भरकों के बीच, खेत-खलिहानों और मचानों के बीच सुदूर रेतीली रश्मियों तक तमाम कहानियां-कविताएं बिखरी हुई मिल जाती हैं जो लोगों को ऊर्जा और सरसता से भर देती हैं। ऐसे कितने ही भावों को कविता में उकेरने, ढालने और अभिव्यक्त करने के लिए चंबल कविता प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है। चंबल के अनुभवों, समाज, संस्कृति और संवेदनाओं को प्रस्तुत करने वाली मौलिक कविता आप हमें भेजें।
प्रतियोगिता निशुल्क है और आयु सीमा के बंधन से मुक्त रखी गई है।
भाषा - हिंदी के साथ आंचलिक (भदावरी, बुंदेली आदि)
रचना इस ईमेल पर भेज सकते हैं- chambalfoundation@gmail.com
यूनिकोड मंगल फॉन्ट का प्रयोग किया जाना अपेक्षित है।
प्रथम पुरस्कार – 5000, द्वितीय पुरस्कार – 4000, तृतीय पुरस्कार – 3000 रूपए
इसके अलावा तीन विजेता प्रतिभागियों को 1100 रूपए और अन्य सभी चयनित श्रेष्ठ रचनाकारों को चंबल फाउंडेशन की तरफ से पुरस्कार राशि तथा प्रमाण-पत्र प्रदान किया जाएगा।
रचना भेजने की अंतिम तिथि- 5 दिसंबर, 2020 है।
निर्देश –
प्रत्येक प्रतिभागी एक ही कविता भेज सकता है।
कविता चंबल पर आधारित स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित होनी चाहिए।
रचना के साथ अपना नाम, पता, मोबाइल नंबर और फोटो भी भेजें।
ज्यूरी सद्स्यों का फैसला सर्वमान्य एवं अंतिम होगा।
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