Saturday, May 29, 2021

कान्यकुब्ज मंच ने पत्रकारिता में नारद जी के नज़रिए पर डाला प्रकाश, किया भव्य ऑनलाइन वेबिनार का आयोजन

'आदिपत्रकार देवर्षि नारद जी सिर्फ संचार के ही नहीं, सुशासन के मंत्रदाता भी हैं। नारद जी को संकटों का समाधान संवाद और संचार से करने में महारत हासिल है। आज के दौर में उनकी यह शैली विश्व स्वीकृत है। समूचा विश्व मानने लगा है कि युद्ध अंतिम विकल्प है। किंतु संवाद शास्वत विकल्प है।' कान्यकुब्ज मंच द्वारा आयोजित 'पत्रकारिता में नारदीय दृष्टि' विषयक ऑनलाइन राष्ट्रीय संगोष्ठी में

भारतीय जनसंचार संस्थान, नई दिल्ली के महानिदेशक प्रो संजय द्विवेदी ने कहा कि एक सुंदर दुनिया बनाने के लिए सार्वजनिक संवाद में शुचिता और मूल्यबोध की चेतना आवश्यक है। 

इससे ही हमारा संवाद लोकहित केंद्रित बनेगा। नारद जयंती के अवसर नारद जी के भक्ति सूत्रों के आधार पर आध्यात्मिकता के घरातल पर पत्रकारिता खड़ी हो और समाज के संकटों के हल खोजे, इसी में उसकी सार्थकता है।

इंदौर से देवी अहिल्याबाई विश्वविद्यालय में पत्रकारिता विभाग की अध्यक्ष डॉ सोनाली नरगुंडे ने कहा कि 'देश की आजादी के बाद और खासकर नब्बे के दशक में आये आर्थिक उदारीकरण के बाद से लगातार व्यवसायिकता की तरफ बढ़ती पत्रकारिता को कोरोनाकाल ने एक नई दिशा दिखाई है। सामाजिक सरोकारों से दूर होते जा रहे पत्रकार जगत को वैश्विक महामारी ने लोकमानस के मनोविज्ञान, समाजशास्त्र और अर्थशास्त्र की समझ पैदा की है।

गाजियाबाद से वरिष्ठ पत्रकार शंभूनाथ शुक्ल के अनुसार भारतीय जनमानस आज भी मीडिया की खबरों में भरोसा करता है। एक पत्रकार का दायित्व है कि सुनी-सुनाई बातों में न जाकर खबरों की गहराई तक जाना चाहिए। एक पत्रकार का सम्पर्क सभी से हो लेकिन मित्रता सिर्फ सत्य से होनी चाहिए। कोरोनाकाल में पत्रकारों का दायित्व कहीं अधिक बढ़ जाता है।

कानपुर की प्रो प्रेमलता ने बताया कि पत्रकारिता का उपयोग व्यापक रूप से लोकहित के लिए किया जाता है ।किसी प्रतिष्ठा या पुरस्कारों के लिए नहीं । लोकहित ही पत्रकारिता का नारदीय सूत्र है।

हिन्दी परिवार इंदौर के अध्यक्ष हरेराम वाजपेयी के अनुसार नारद जयन्ती पत्रकारिता से जुड़े लोगों को अपनी कार्यशैली के मूल्यांकन और विश्लेषण करने का अवसर देता है। निष्पक्षता और सत्यता उसका आभूषण है।

सर्वब्राह्मण शिखर के सम्पादक शैलेंद्र जोशी ने देवर्षि नारद की पत्रकारिता को न्यायकारी, देव-दानव व मनुज सभी के लिए न्यायकारी व अहिंसक बताया। इनके अलावा इंदौर से डॉ मुकेश दुबे, योगेंद्र जोशी, रंजना शर्मा, उज्जैन से विवेक वाजपेयी,लखनऊ से प्रो डी सी मिश्र व विकास पाठक, कानपुर से सौरभ अवस्थी, अजय पाण्डेय व राजेश दीक्षित, नोएडा से मनीषा पाण्डेय, मुंबई से बी के मिश्र तथा भागलपुर (बिहार) से गोपाल कृष्ण पाण्डेय आदि ने भी चर्चा में भाग लिया। राष्ट्रीय संगोष्ठी का संचालन कर रहे थे  कान्यकुब्ज मंच पत्रिका के संपादक आशुतोष पाण्डेय। प्रबन्ध सम्पादक विष्णु पाण्डेय (लखनऊ) ने सभी सहभागियों के प्रति आभार व्यक्त किया।

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